इंसान_चाहे_कितना_भी_बुरा_हो_उसे_बदला_जा_सकता_है | Buddhist story

दोस्तों इस Article में (इंसान_चाहे_कितना_भी_बुरा_हो_उसे_बदला_जा_सकता_है | Buddhist story) गौतम बुद्ध और खतरनाक डाकु अंगुलीमाल के बारे में बताने वाला हूं। तो आइए जानते हैं विस्तार से।-


बहुत सालों पहले भारत में मगध नाम का एक राज्य था वह राज्य बहुत संपन्न था उसे राज्य में सोनापुर नाम का एक गांव था जहां के लोग अपना सारा काम दिन में ही किया करते थे लेकिन रात होते ही सभी लोग अपने घरों में चले जाते थे और कोई भी रात के समय अपने घरों से बाहर नहीं निकलता था लोग ऐसा बस एक ही काम से किया करता था और वह था अंगुलीमाल

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अंगुलीमाल बहुत ही खतरनाक डाकू था जो लोगों को लूट कर मार देता था वह लोगों को बीच में डर बनाए रखने के लिए मारे हुए लोगों की उंगली को काटकर उसकी माल बनाकर पहनता था। अंगुलीमाल मगध के एक गुफा में रहा करता था जंगल के जिस गुफा में वह रहता था, लोग वहॉ से भी गुजरने से डरता था। क्योंकि अंगुलीमाल से सबको बहुत डर लगता था एक दिन की बात है जब गौतम बुद्ध ने सोनपुर गांव से गुजर रहे थे,तो उस दौरान गांव के सभी लोगों को चिंतित देखकर हैरान हो गया और वहां के लोगों से पुछा कि आखिर इतने उदास क्यों हो , 
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क्या बात है आप सभी इतने डरे हुए हैं?

ऐसे में महात्मा बुद्ध को लोगों ने वहां के बारे में जानकारी दी कि,यहां पर एक डाकु अंगुलीमाल रहता है जिसका बुरा प्रकोप है। वह लोगों को लूट कर मार देता है और उनकी उंगलियों को काटकर माला बनाकर पहन लेता है इसलिए हमारे गांव के लोग बहुत डरे हुए हैं अब आप ही बताइए कि हम लोग करे से क्या करें?


महात्मा बुद्ध ने लोगों से पुछा ||

"अच्छा ऐसी बातें हैं । तो फिर अंगुलीमाल कहा रहता हैं?"

ऐसे में एक व्यक्ति सामने आया और महात्मा बुद्ध से बोला," जंगलों के अंदर एक गुफा है। जिसमें वह अंगुलिमाल रहता है"यह सभी बातें को सुनकर महात्मा बुद्ध अंगुलीमाल से मिलने जंगल की ओर चल पड़े। सोनपुर गांव के लोगों ने उनको रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर भी वह नहीं रुके और जंगल की ओर चल पड़े जैसे ही वह गुफा के पास पहुंचे तब अंगुलीमाल अपने गुफा से निकाल कर हाथ में तलवार लेकर खड़ा हो गया।



महात्मा बुद्ध ने अंगुलिमाल को अनदेखा किया और आगे की तरफ चल पड़े यह देखकर अंगुलीमाल महात्मा बुद्ध को पीछा करने लगा पीछा करते-करते अंगुलिमाल जोर से चिल्ला कर बोला।

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   "ऐ सन्यासी रुक जा"

महात्मा बुद्ध ने कहा। "मैं तो रुक गया।

तुम कब रुकोगे ? तुम अपनी यह हिंसा कब बंद करोगे?

ऐसे में अंगुलिमाल क्रोधित हो गया और फिर उन्होंने गौतम बुद्ध से कहां, ऐ सन्यासी तु मुझे जानता नहीं है। मैं इस राज्य का सबसे शक्तिशाली मनुष्य हूं।"गौतम बुद्ध ने कहा।
"मैं नहीं मानता कि तू सबसे शक्तिशाली मनुष्य है इस राज्य का।"यह सुनकर अंगुलीमाल बोला ।"अच्छा अगर ऐसी बात है तो तुम ही बताओ कि ऐसा मैं क्या करूं कि जिससे तुम भी मानोगे।"

                     महात्मा बुद्ध ने कहा।

"तुम जाओ और उस पेड़ में से 10 पत्तियां तोड़कर लाओ।"
महात्मा बुद्ध के कहने पर अंगुलीमाल ने वही किया। वह पेड़ के पास गया और उसमे से 10 पत्तियां तोड़ कर लाया।
फिर गौतम बुद्ध ने कहा। "जाओ अब इस पत्तियों को वापस उसी पेड़ में जोड़ दो।"यह सुनकर अंगुलिमाल अचंभित हो गया और उसने महात्मा बुद्ध से कहा यह कैसा बेहूदा मजाक है ,भला कोई पतियों को तोड़कर वापस उसी पेड़ में कोई जोड़ सकता हैं क्या?
ऐसे में बुद्ध ने कहा, तुम खुद को सबसे शक्तिशाली कहते हो और उन पतियों को जोर नहीं सकते। अगर तुम किसी को जोर नहीं सकते तो उसे तोड़ो भी मत।
अगर तुम किसी को जीवन नही दे सकते है तो उसे मारो भी मत।"
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यह सुनकर अंगुलिमाल की आंखे खुल गई। वह बुद्ध के चरणों में गिर गया और माफी मांगने लगा। इसके बाद से अंगुलीमाल बुरे कामों को करना छोड़ दिया। और वह महात्मा बुद्ध का शिष्य बन गया।

FAQ 

  • गौतम बुद्ध और अंगुलीमाल की कहानी?
  • अंगुलीमाल की कहानी?
  • सोनापुर गाँव की कहानी?
  • खतरनाक डाकू अंगुलिमाल कैसे बन गया महात्मा बुद्ध का परम भक्त?
  • गौतम बुद्ध और अंगुलिमाल डाकू की कहानी?



दोस्तों इस कहानी से [इंसान_चाहे_कितना_भी_बुरा_हो_उसे_बदला_जा_सकता_है | Buddhist story | Hari Guru story | Angulimal story] हमको यही शिक्षा मिलती हैं कि इंसान चाहे कितना भी बुरा क्यू ना हो। वह बदल सकता हैं या उसे बदला जा सकता हैं। प्रेम और समझ के साथ हम अपने और दूसरों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, चाहे जीवन की कितनी भी कठिनाइयां क्यों न हो।

बुद्ध के उपदेशों में मानवता, शांति, और सहानुभूति के महत्व को बताया गया है, और यह कहानी भी हमें इन मूल्यों का महत्व याद दिलाती है। हम सभी के पास बदलाव और सुधारने की क्षमता होती है, और हमें दूसरों के साथ उस क्षमता का सहयोग करना चाहिए।
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